कमबख्त खुद को रुला देते है.
दूर क्या गई तुम हमारी नजरोसे
आयना भी नजर चुराते है .
क्या कमी थी हमारे प्यारमे
जो आज इतिहास बनकर रह गई.
अपने के इस चाहमे
दुनिया हमारी बदल गई
अपनापन न मिल सका
जिन्दगी सुनापनसे भर गई.
जिस मोड़ पर छोड़ गई
उस मोड़ पर हम रुक गए
हम बाप बन कर न सही
तुम बेटी बनकर भी सही
आजाओ वापस हमारी दुलारी
इस जीव को है आशा तुम्हारी..
--
Jitesh Shah (જીતેશ શાહ)
--
Jitesh Shah (જીતેશ શાહ)
No comments:
Post a Comment